चंडीगढ़ को लेकर गृह मंत्रालय का बड़ा बयान; बिल पर मचे हंगामे पर स्पष्ट की स्थिति, पंजाब के साथ व्यवस्थाएं बदलने पर कही ये बात

Central Govt New Statement on Chandigarh 131st Constitution Amendment Bill

Central Govt New Statement on Chandigarh 131st Constitution Amendment Bill

Central Govt on Chandigarh: चंडीगढ़ को लेकर सामने आए 131वें संविधान विधेयक पर मचे हंगामे के बाद अब केंद्र सरकार ने बड़ा बयान जारी किया है। गृह मंत्रालय ने आधिकारिक तौर पर इस बिल को लेकर स्थिति स्पष्ट की है और यह साफ कर दिया है कि बिल पर अभी अंतिम फैसला नहीं लिया गया है और संसद के आने वाले शीतकालीन सत्र में ऐसा कोई बिल लाने का सरकार का कोई इरादा नहीं है। इसके साथ ही गृह मंत्रालय ने यह भी कहा है कि बिल का उद्देश्य चंडीगढ़ के प्रशासनिक ढांचे या इसके साथ पंजाब और हरियाणा की जारी व्यवस्थाओं को बदलना नहीं है।

पढ़िए गृह मंत्रालय से जारी नोट

गृह मंत्रालय से जारी नोट में कहा गया है, ''केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़ के लिए केवल केंद्र सरकार के कानून बनाने की प्रक्रिया को आसान बनाने का प्रस्ताव अभी भी विचाराधीन है। इस प्रस्ताव पर कोई आखिरी फैसला नहीं लिया गया है। यह प्रस्ताव किसी भी तरह से चंडीगढ़ के शासन या प्रशासनिक ढांचे को बदलने की कोशिश नहीं करता है, न ही इसका मकसद चंडीगढ़ के साथ जारी पंजाब और हरियाणा की पारंपरिक व्यवस्थाओं को बदलना है।''

गृह मंत्रालय ने आगे कहा, ''चंडीगढ़ के हितों को ध्यान में रखते हुए सभी हितधारकों से पर्याप्त विचार विमर्श के बाद ही उचित निर्णय लिया जाएगा। इस मामले पर किसी भी तरह की चिंता की कोई ज़रूरत नहीं है। केंद्र सरकार का संसद के आने वाले शीतकालीन सत्र में इस बारे में कोई बिल लाने का कोई इरादा नहीं है।''

Central Govt New Statement on Chandigarh 131st Constitution Amendment Bill

पार्लियामेंट्री बुलेटिन में मिली थी जानकारी

बता दें कि पार्लियामेंट्री बुलेटिन के अनुसार यह जानकारी मिली थी कि केंद्र सरकार चंडीगढ़ को लेकर संविधान (131वां संशोधन) विधेयक-2025 पेश करने जा रही है। बुलेटिन में कहा गया, विधेयक का उद्देश्य भारत के संविधान के अनुच्छेद 240 के दायरे में केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़ को शामिल करना है। यह प्रस्ताव अनुच्छेद 240 के दायरे वाले उन अन्य केंद्र शासित प्रदेशों के अनुरूप है, जहां विधानसभा नहीं है, जैसे अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह, लक्षद्वीप, दादरा एवं नगर हवेली और दमन एवं दीव और पुडुचेरी (जब यहां की विधानसभा भंग या निलंबित हो)।

अनुच्छेद-240 के तहत चंडीगढ़ का कंट्रोल पंजाब राज्यपाल के संवैधानिक दायरे से बाहर लाने और स्वतंत्र प्रशासक/एलजी की नियुक्त कर यहां कानून बनाने का अधिकार सीधे राष्ट्रपति को देने का प्रस्ताव है। जिसके चलते केंद्र के इस संशोधन बिल को लेकर पंजाब में भूचाल आ गया। सियासी उठापटक शुरू हो गई। सत्ताधारी आम आदमी पार्टी से लेकर कांग्रेस और अकाली दल ने एक सुर में इसका कड़ा विरोध जताया। ज्ञात रहे कि अभी पंजाब के राज्यपाल के पास ही चडीगढ़ के प्रशासक का पद होता और पूरा प्रशास अधीन होता है।

इस संशोधन विधेयक का विरोध कर रहे आम आदमी पार्टी से लेकर कांग्रेस और अकाली दल के नेताओं का कहना था कि इस विधेयक के पारित होने के बाद चंडीगढ़ पर पंजाब का हक कमजोर हो जाएगा। क्योंकि इससे चंडीगढ़ पर पंजाब का प्रशासनिक और राजनीतिक नियंत्रण खत्म हो जाएगा। नेताओं का आरोप है कि केंद्र सरकार ऐसा कर चंडीगढ़ को हरियाणा को सौंपना चाहती है। लेकिन पंजाब यह नहीं होने देगा। चंडीगढ़ पर पंजाब का पूरा हक है और चंडीगढ़ पंजाब के अलावा और किसी का नहीं है।

CM मान ने कर दिया था खुला ऐलान

केंद्र सरकार के इस बिल को लेकर पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने खुला ऐलान कर कहा था कि चंडीगढ़ पर सिर्फ़ पंजाब का हक़ है और हम अपना हक यूं ही नहीं जाने देंगे। सीएम ने कहा, ''संसद के आगामी शीतकालीन सत्र में केन्द्र सरकार द्वारा लाए जा रहे प्रस्तावित संविधान (131वां संशोधन) बिल का हम कड़ा विरोध करते हैं। यह संशोधन पंजाब के हितों के विरुद्ध है। हम केंद्र सरकार द्वारा पंजाब के विरुद्ध रची जा रही साजिश को कामयाब नहीं होने देंगे। हमारे पंजाब के गाँवों को उजाड़कर बने चंडीगढ़ पर सिर्फ़ पंजाब का हक़ है। हम अपना हक़ यूँ ही जाने नहीं देंगे। इसके लिए जो भी कदम उठाने पड़ेंगे, हम उठाएँगे।''